Saturday, January 29, 2011

camp report.......................


राष्ट्र यज्ञ में आहुत होने को तत्पर युवा
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विवेकानन्द केन्द्र दिल्ली विभाग का पांच दिवसीय शिविर संपन्न


विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, दिल्ली विभाग द्वारा दिल्ली के युवाओं को देश और समाज के लिए कार्य करने एवं उनमें देशभक्ति की भावना पैदा करने के उद्देश्य को लेकर दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ, आईआईटी, जेएनयू सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यायलयों में विजय ही विजय युवा प्रेरणा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसके तीसरे चरण के रूप में 700 युवाओं में से 85 युवाओं को पांच दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर में सहभागिता करने का मौका मिला।

युवाओं को अपनी अदम्य साहस, ऊर्जा और शक्ति को पहचानने के उद्देश्य को लेकर 21-25 जनवरी 2011 को महाशय चुन्नीलाल सरस्वती विद्या मन्दिर, हरीनगर में संपन्न हुआ। 21 की शाम को पंजीकरण के साथ ही सभी युवाओं को पांच गणों में बांटा गया। गणों के नाम ब्रम्ह्रास, पृथ्वी, नाग, अग्नि और आकाश भारत की मिसाइलों के नाम पर रखा गया क्योंकि मिसाइलों का निर्माण विशेष लक्ष्य को लेकर किया जाता है। शिविर की दिनचर्या सवेरे 5 बजे से लेकर रात्रि 10.30 बजे तक युवाओं को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक तीनों स्तरों पर सर्वांगिण विकास को लेकर तैयार की गयी जिसमें 5.46 प्रातःस्मरण में संस्कृत के श्लोकों एवं ऐक्य मंत्र के साथ प्रारम्भ हुआ। 6 से 7.30 तक योगाभ्यास में शिथिलीकरण, सूर्यनमस्कार, आसन, प्राणायाम एवं मेडिटेशन करवाया गया। 7.30 बजे से गीता पठन गीता के कर्मयोग श्लोक संग्रह में से वाचन किया जाता। 8.30 अल्पाहार और फिर श्रम संस्कार के श्रम के प्रति हीन भावना को दूर करने के लिए मायापुरी औद्योगिक इलाके की कच्ची बस्ती में बच्चों को खेल और बस्ती के लोगों में साफ-सफाई और साक्षरता के प्रति जागरूक किया।

बौद्धिक विकास के लिए हर रोज दो बौद्धिक सत्रांे का आयोजन किया जाता जिसमें बनो और बनाओं, शत्रु की पहचान, एतिहासिक भ्रांतियां और यर्थात् आदि विषयों पर जानकारियां दी गई। इसके साथ विजय क्षणों में युवाओं को रक्षा, मीडिया, पुलिस आदि क्षेत्रों में अपनी पहचान रखने वाले लोगांे का बुलाकर युवओं से मिलवाया गया। क्रिडायोग में विभिन्न प्रकार के खेल जैस हाथी घोड़ा पालकी, टैंक युद्ध, चंदन छू और कहानी, आज्ञाओं, देशभक्ति गीतों के माध्यम से मानसिक विकास किया गया। शाम को भंजन संध्या में आध्यात्मिक एवं भक्तिपूर्ण गीतों से आध्यात्मिक विकास किया गया। रात को भोजन के बाद प्ररेणा से पुनरुत्थान में माननीय मुकुल कानिटकर द्वारा युवाओं की जिज्ञसाओं को शांत करने लिए प्रश्नोŸारी रखा जाता जिसमें युवाओं के सवालों के जबाब दिये जाते।

शिविर के अंतिम दिन आहुति सत्र में युवाओं ने देश और समाज में कार्य करने के लिए जीवनवर्ती, सेवावर्ती और स्थानीय कार्यकर्ता के रूप कार्य करने का संकल्प लिया। इसके साथ ही चार दिनों के अभ्यास से ही अंतिम दिन सामूहिक 108 सूर्यनस्कार का प्रदर्शन 80 युवाओं द्वारा किया गया। एक नई ऊर्जा, शक्ति और साहस के साथ राष्ट्र यज्ञ में आहुति देने के साथ ही सभी शिविरार्थियों ने भावपूर्ण विदाई ली।

2 comments:

  1. 108 Surya Namskar Dura Apni अदम्य Shakti Ki Pahachan Ke Baad Mujhe Ummid Hi Nahi Purn Vishwas hai Ki Apne Ghar me Bhi Sabhi Yuwa Rashtr or Samaj ke liye Karya karane ke Pavitr Dhyey ko apne Man me Dharan karte hue 108 Sury Namskar ko Jari Rakhange. Sabhi Ko Subhakamnaye Ma Bhagwati Apka Marg Prasast Kare. Jai Hind ! Jai Bharat ! Vande Matram !!!

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